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मायानगरी मुंबई की आठ साल की भिखारन रीना बहुत नाराज है। वह इसलिए नाराज नहीं है कि भारत सरकार ने नए बजट में उसकी बिरादरी के लिए कुछ नहीं रखा। रीना को तो पता भी नहीं कि आजकल बजट पेश करने का मौसम चल रहा है और देश को एक नई ऊंचाई देने के लिए करोड़ों रूपए की योजना बन रही है। भिखारन रीना की नाराजगी हिंदी फिल्म इंडस्टी के गीतकारों और संगीतकारों से है। रीना गीत बनाने वाले इंटेलीजेंट लोगों से बहुत ज्यादा गुस्सा है। रीना गुस्सा हो भी क्यों न? उसने जबसे होश संभाला तबसे चार पांच गिने-चुने गाने गाकर भीख मांग रही है। जैसे-दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी, चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है, परदेसी परदेसी जाना नहीं, शिडीॆ वाले साईं बाबा, गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा। आज टरेन से आफिस आते समय रीना से मुलाकात हुई। कानों में गोल्डेन कलर के झुमके, घाघरा चोली पहने नंगे पांव वह हाथ में डफली बजाकर ऊपर मेंशन किए गानों को गला फाड़ फाड़कर कानफोडू आवाज में गाकर भीख मांग रही थी। हमारी लाइन में पैसा मांगने के बाद जब उसने मेरी बगल वाली कतार में बैठे सज्जनों के सामने हाथ फैलाए तो छह में किसी ने भी उसे एक रूपए नहीं दिए। उसने गुस्से हाथ झटकते हुए कहा सब भिखारी बैठे हैं। उसका यह कथन सुनकर सब भौंचक्के हो गए और एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। आठ साल की भिखारन रीना मुझे मजेदार लगी। मेरा उससे बात करने का मन किया। जिस स्टेशन पर वह उतरी मैं भी उतर गया। मैंने उसे रोका और पूछा कि तुम लोग वही पुराने घिसे-पिटे गाने गाकर क्यों भीख मांगते हो? उसने तपाक से जवाब दिया-मां ने यही सिखाया है। मुझे यही गाने आते हैं। मैंने कहा कि तुम नए गाने क्यों नही याद कर लेती? रीना ने फिर तपाक से जवाब दिया-नए गाने सुनने को मिलते कहां है? और स्टेशन के बाहर दुकानों में कभी-कभी नए गाने बजते हैं तो वे समझ में नहीं आते। पता नहीं क्या-क्या गाते हैं? और जो गाने बजते हैं वह हम डफली पर बजते ही नहीं है। क्या रीना की तरह आपके शहर के भिखारी भी यही चुनिंदा गाने गाकर भीख मांगते हैं?
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