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वाह रे भगवान!

अक्स
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सर्द मौसम


धुधंला आकाश


सड़क  के किनारे


कोहरे की चादर ओढ़े


वह, लेटा पड़ा था।


लोग पास से यूं ही


एक नजर उस पर डाल


दुनिया को कोसते, मानवीयता की दुहाई देते


मंजिल की तरफ अपनी


थे यूं ही बढ़ जाते।


किसको थी इतनी फुरसत


कि पास उसके जाता


देखता, पूछता,


मर गया कि जिन्दा है?


वाह रे भगवान!


तूने कैसा इंसान है बनाया?


एक राम था बनाया.एक आज है बनाया


तेरी ही यह सृष्टि


फिर, फर्क इतना क्यों है?


एक  महलों में, गर्म बिस्तरों में


हीटर जलाए


चैन की नींद सो रहा है, और


एक सड़क के किनारे


कोहरे की चादर ओढ़े


मौत की नींद सो रहा है।


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